Akhil Bhartiya Gandharva Mahavidyalaya Mandal

अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मंडल, मुंबई

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ABGMVM के बारे में

भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रसार, जागृति और पोषण

१९वी सदी के मध्य का समय वह था जब भारतीय संगीत, जो कभी राज दरबारों में सराहा जाता था, अपनी चमक खो रहा था। यह पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर की प्रेरक यात्रा की पृष्ठभूमि है, जो इसकी महिमा को पुनः प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित एक दूरदर्शी नेता थे। १८९६ में, उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का जादू लोगों तक पहुँचाने के लिए 'भारत यात्रा' मिशन पर निकल पड़े। पं. पलुस्करजी सिर्फ एक कलाकार नहीं थे; वे संगीत के क्रांतिकारी नेता थे। १९०१ में, उन्होंने लाहौर में गांधर्व महाविद्यालय की स्थापना करके ABGMVM की नींव रखी। यह सिर्फ एक विद्यालय नहीं था; यह ज्ञान का एक दीपक था, जिसने पूरे भारत में संगीत के प्रति एक जुनून को प्रज्वलित किया, क्योंकि पं. पलुस्करजी ने पूरे भारत में कई स्कूलों की स्थापना की।

१९३१ में पंडित के निधन के बाद, उनके समर्पित शिष्यों ने मिलकर अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मंडल (ABGMVM) की स्थापना की। यह सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं थी, बल्की यह एक वादा था कि इस विरासत को आगे बढ़ाया जाएगा। मंडल ने एक पाठ्यक्रम के साथ संगीत शिक्षा को मानकीकृत किया, देशव्यापी परीक्षाएँ आयोजित कीं, और देश भर में संगीत विद्यालयों को मान्यता दी, जिससे भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक संघटीत शक्ति का निर्माण हुआ।

उनकी प्रतिबद्धता यहीं नहीं रुकी। एक मंच की आवश्यकता को पहचानते हुए, जिसने जोड़ने और प्रेरित करने का काम किया, ABGMVM ने १९४७ में “संगीत कला विहार” पत्रिका का शुभारंभ किया। यह संगीत प्रेमियों के लिए एक जीवंत केंद्र बन गया, जिसने समुदाय के भीतर संचार और सहभागिता को प्रोत्साहित किया।

आज, ABGMVM भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक स्तंभ के रूप में खड़ा है। पं. पलुस्कर जी की विरासत के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सुनिश्चित करती है कि इस कला का जादू आने वाली पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध करता रहे। यह समर्पण, जुनून और एक दृष्टि की कहानी है जिसने भारत के संगीत परिदृश्य को बदल दिया।

हमारी प्रेरणा

अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मंडल की प्रेरणा भारतीय शास्त्रीय संगीत की सजीवता और विरासत को संरक्षित और प्रोत्साहित करने में निहित है। पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर जी के नेतृत्व और समर्पण से प्रेरित होकर, हमारा उद्देश्य न केवल संगीत शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि हर छात्र में संगीत के प्रति एक गहरा और सार्थक जुड़ाव स्थापित करना भी है। हमारे लिए, संगीत केवल ध्वनि का संयोजन नहीं है; यह एक दिव्य कला है जो आत्मा को छूती है और दिलों को जोड़ती है। यह विचार हमारे हर एक पहल में परिलक्षित होता है, चाहे वह पाठ्यक्रम के माध्यम से हो, कार्यशालाओं और संगोष्ठियों के आयोजन के माध्यम से, या "संगीत कला विहार" पत्रिका के प्रकाशन के माध्यम से। हम मानते हैं कि संगीत एक सार्वभौमिक भाषा है जो सीमाओं को पार करती है और मानवीय भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक अद्वितीय माध्यम है।

हमारा उद्देश्य केवल संगीतकारों को प्रशिक्षित करना नहीं है, बल्कि उन्हें संगीत की गहरी समझ और सराहना के साथ सशक्त बनाना है। हमारा दृष्टिकोण समग्र है, जो संगीत के तकनीकी और सैद्धांतिक पहलुओं को समायोजित करने के साथ-साथ इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को भी पहचानता है। पं. पलुस्करजी की विरासत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हमें निरंतर प्रेरित करती है, और हम इस अमूल्य कला को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के अपने संकल्प के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं। अखिल भारतीय गांधर्व महाविद्यालय मंडल में, हम न केवल संगीत सिखाते हैं, बल्कि एक संगीतमय जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।

हमारे कार्यालय

वाशी

मिरज

हमारे मूल्य

संरक्षित करें, शिक्षित करें, प्रेरित करें ABGMVM, जहाँ संगीत जीवित है

दृष्टि और उद्देश

हमारी दृष्टि और उद्देश हमें पं. विष्णु दिगंबर पलुस्करजी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं, तथा वे यह सुनिश्चित करते हैं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की ध्वनि और भावना सदैव जीवंत और प्रेरणादायक बनी रहे।

दृष्टि और उद्देश

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